विवाद की शुरुआत
दरभंगा में विपक्षी गठबंधन की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के कार्यक्रम के दौरान मंच से एक कार्यकर्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मां के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया। इस घटना का वीडियो वायरल होते ही भाजपा और उसके समर्थकों के बीच नाराजगी फैल गई। भाजपा प्रवक्ताओं ने कांग्रेस और राजद नेताओं पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, वहीं कांग्रेस ने इसे बदनाम करने की साजिश बताया।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और गिरफ्तारी
मामले के तूल पकड़ते ही भाजपा ने पटना के थाने में एफआईआर दर्ज कराई और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की। इसके बाद पुलिस ने आरोपी युवक मोहम्मद रिजवी उर्फ राजा को गिरफ्तार किया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह सहित कई नेताओं ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए कहा। दूसरी ओर, कांग्रेस नेताओं ने सफाई देते हुए कहा कि मंच से हुई टिप्पणी कांग्रेस की आधिकारिक राय नहीं है और घटना की निंदा की

सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिससे आम नागरिकों और भाजपा समर्थकों में भारी आक्रोश देखने को मिला। कई जगहों पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किए और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ नारेबाज़ी की। इस बहस में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी बयान दिया कि किसी भी नेता को मर्यादा नहीं लांघनी चाहिए और विरोध सार्थक ढंग से होना चाहिए।

सियासी नुकसान और मीडिया बहस
इस विवाद ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले सियासत को गर्मा दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि ऐसा कोई भी बयान विपक्ष के लिए उलटा ही पड़ सकता है क्योंकि इससे भाजपा की सहानुभूति और वोट बेस को बढ़ावा मिलता है। टीवी डिबेट्स, सोशल मीडिया ट्रेंड्स और फेसबुक पोस्ट्स पर भी इस मुद्दे पर जबर्दस्त बहस छिड़ गई है

पीएम मोदी पर विवादित टिप्पणी की हालिया घटना ने राजनीति को गर्मा दिया है। इस प्रकरण ने समाज में भाषाई मर्यादा की जरूरत, राजनीतिक ज़िम्मेदारी और विरोध के स्वरूप को लेकर नई बहस छेड़ दी है। फिलहाल, आरोपी की गिरफ्तारी और राजनीतिक दलों की एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की नीति जारी है, लेकिन इससे साफ है कि इस तरह की घटनाएं चुनावी माहौल में चुनावी मुद्दा बन जाती हैं तथा लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी सवाल उठा देती हैं