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2027 वर्ल्ड कप: भारत के लिए ओपनिंग और बुमराह की चुनौतियां
रोहित शर्मा के संन्यास के करीब आने के साथ, भारतीय क्रिकेट टीम के पास 2027 वर्ल्ड कप के लिए यशस्वी जायसवाल और शुभमन गिल के रूप में दो शानदार सलामी बल्लेबाज हैं। लेकिन क्या भारत के पास इन दोनों के लिए कोई भरोसेमंद बैकअप ओपनर है? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब गौतम गंभीर और उनकी कोचिंग टीम को जल्द से जल्द ढूंढना होगा।

बैकअप ओपनर: रुतुराज और साई सुदर्शन, लेकिन अनुभव की कमी
रुतुराज गायकवाड़ और बी साई सुदर्शन को बैकअप के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन इन दोनों ने अभी तक वनडे क्रिकेट में पर्याप्त अनुभव हासिल नहीं किया है। 2019 वर्ल्ड कप में शिखर धवन की चोट ने भारत की रणनीति को पटरी से उतार दिया था, जिससे मिडिल ऑर्डर की कमजोरी उजागर हुई थी। अगर भारत इस बार भी बैकअप ओपनर और मध्यक्रम के लिए पहले से तैयारी नहीं करता, तो इतिहास खुद को दोहरा सकता है।
भारतीय मैनेजमेंट को चाहिए कि वह इन युवा खिलाड़ियों को अगले दो साल में ज्यादा से ज्यादा ODI मैचों में मौके दे। इससे न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि भारत को एक मजबूत और लचीला बल्लेबाजी क्रम भी मिलेगा।

बुमराह की फिटनेस: भारत की सबसे बड़ी चिंता
जसप्रीत बुमराह, जिन्हें विराट कोहली ने भारत का “राष्ट्रीय खजाना” कहा, निस्संदेह टीम के सबसे बड़े हथियार हैं। लेकिन उनकी फिटनेस और वर्कलोड मैनेजमेंट हमेशा चर्चा का विषय रहा है। आलोचकों ने भले ही उनकी अनुपस्थिति पर सवाल उठाए, लेकिन यह सच है कि बुमराह ने कई चोटों के बावजूद मोहम्मद सिराज से सिर्फ 29 ओवर कम फेंके हैं।
सवाल यह है कि 2027 में 33 साल की उम्र में बुमराह क्या लंबे वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में पूरी तरह फिट रह पाएंगे? अगर वह चोटिल हो गए, तो क्या भारत के पास उनके जैसा अनुभवी तेज गेंदबाज है? वर्तमान में, इस सवाल का जवाब नकारात्मक है। भारतीय मैनेजमेंट को बुमराह के बैकअप के रूप में युवा तेज गेंदबाजों को तैयार करने की जरूरत है।

कोहली नहीं, असल समस्याओं पर ध्यान दें
विराट कोहली जैसे खिलाड़ी अपनी काबिलियत से किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। भारत को अब उन पर नहीं, बल्कि बैकअप ओपनर और तेज गेंदबाजी के विकल्पों जैसे अहम मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। 2027 वर्ल्ड कप के लिए अभी समय है, लेकिन भारतीय टीम को अपनी कमियों को जल्द से जल्द दूर करना होगा।
जैसा कि क्रिकेट की दुनिया में कहा जाता है, “देर आए, दुरुस्त आए”। भारत को अब अपनी रणनीति को मजबूत करने के लिए कदम उठाने होंगे, ताकि वर्ल्ड कप में कोई कमी न रह जाए।