भारत-चीन व्यापार विस्तार 2025: नए अवसर और चुनौतियाँ

भारत-चीन व्यापार विस्तार 2025: एक नया आर्थिक अध्याय

भारत और चीन, दो एशियाई आर्थिक महाशक्तियाँ, जिनके बीच व्यापारिक संबंध पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़े हैं। 2025 में, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार ने न केवल रिकॉर्ड ऊँचाइयों को छुआ है, बल्कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भी एक नया अध्याय शुरू किया है। हाल के वर्षों में, सीमा विवादों और भूराजनीतिक तनावों के बावजूद, भारत और चीन ने व्यापारिक सहयोग को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस लेख में, हम भारत-चीन व्यापार विस्तार के विभिन्न पहलुओं, इसके कारणों, प्रभावों, और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।

भारत-चीन व्यापार विस्तार

भारत-चीन व्यापार का वर्तमान परिदृश्य

व्यापार में रिकॉर्ड वृद्धि

2024-25 वित्तीय वर्ष में, भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 127.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा। संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास (UNCTAD) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारत और चीन ने औसत से बेहतर व्यापार विस्तार देखा, जबकि कई विकसित देशों के व्यापार में कमी आई।2025-26 के पहले चार महीनों (अप्रैल-जुलाई) में, भारत का चीन के लिए निर्यात 20% की वृद्धि के साथ 5.76 बिलियन डॉलर (लगभग 50,112 करोड़ रुपये) तक पहुँच गया। विशेष रूप से, जुलाई 2025 में भारत ने 1.35 बिलियन डॉलर का निर्यात किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.06 बिलियन डॉलर से अधिक है। यह वृद्धि ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, और कृषि-आधारित उत्पादों की मजबूत मांग के कारण हुई।

भारत-चीन व्यापार विस्तार

व्यापार घाटा: एक बड़ी चुनौती
हालांकि व्यापार में वृद्धि सकारात्मक है, भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 2024-25 में रिकॉर्ड 99.2 बिलियन डॉलर तक बढ़ गया। इसका मुख्य कारण इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरी, सोलर कंपोनेंट्स, दवाइयाँ, मशीनरी, और केमिकल्स जैसे उत्पादों का भारी आयात है। 2024-25 में चीन से भारत का कुल आयात 113.5 बिलियन डॉलर रहा, जबकि निर्यात केवल 14.3 बिलियन डॉलर था। यह असंतुलन भारत की आर्थिक और रणनीतिक स्वायत्तता के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

भारत-चीन व्यापार विस्तार

व्यापार विस्तार के प्रमुख कारण

कूटनीतिक प्रयास और समझौते

2025 में भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक बदलाव देखे गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक की चीन यात्रा, जिसमें वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में शामिल हुए, ने दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान, दोनों देशों ने सीमा विवादों के प्रबंधन, व्यापार असंतुलन को कम करने, और प्रौद्योगिकी व विनिर्माण में संयुक्त उद्यमों की खोज पर चर्चा की।चीन के विदेश मंत्री वांग यी की अगस्त 2025 में भारत यात्रा भी महत्वपूर्ण रही। इस दौरान, उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, और प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की। वांग यी ने रेयर अर्थ मिनरल्स, उर्वरक, और टनल बोरिंग मशीनों पर लगे निर्यात प्रतिबंधों को हटाने का आश्वासन दिया, जो भारत के ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों के लिए बड़ी राहत थी।

भारत-चीन व्यापार विस्तार

वैश्विक आर्थिक परिस्थितियाँ
वैश्विक व्यापार में बदलाव, विशेष रूप से अमेरिका द्वारा चीनी उत्पादों पर लगाए गए उच्च टैरिफ (100% से अधिक), ने भारत को चीन के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार बनाया। अमेरिकी टैरिफ के कारण चीन ने भारत जैसे बाजारों की ओर ध्यान केंद्रित किया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार में वृद्धि हुई। साथ ही, चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी और घरेलू खपत में कमी ने भारत के बाजार को और महत्वपूर्ण बना दिया

भारत की आत्मनिर्भर भारत पहल
भारत की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना और मेक इन इंडिया पहल ने देश में विनिर्माण को बढ़ावा दिया है। उदाहरण के लिए, Apple ने भारत में iPhone उत्पादन को बढ़ाया, जिससे चीन पर निर्भरता कम हुई और भारत का निर्यात बढ़ा। इसके अलावा, भारत ने कृषि और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ावा दिया, जिससे चीन के साथ व्यापार में सकारात्मक बदलाव आया।

भारत-चीन व्यापार विस्तार

व्यापार विस्तार के प्रमुख क्षेत्र

इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी

भारत से चीन को इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी उत्पादों का निर्यात बढ़ रहा है। 2025 में, भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की, जिससे निर्यात में वृद्धि हुई। दूसरी ओर, भारत अभी भी चीन से भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरी, और सोलर कंपोनेंट्स आयात करता है

कृषि और फार्मास्यूटिकल्स
कृषि-आधारित उत्पादों, विशेष रूप से चावल, मसाले, और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, के निर्यात में भारत ने उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की। फार्मास्यूटिकल्स भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहाँ भारत ने चीन के बाजार में अपनी पहुंच बढ़ाई।

रेयर अर्थ मिनरल्स और उर्वरक
चीन ने 2025 में रेयर अर्थ मिनरल्स, उर्वरक, और टनल बोरिंग मशीनों पर लगे निर्यात प्रतिबंधों को हटा दिया, जिससे भारत के ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स, और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों को लाभ हुआ। रेयर अर्थ मिनरल्स, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं, अब भारत को आसानी से उपलब्ध

भारत-चीन व्यापार विस्तार

सेवा व्यापार
2024 की चौथी तिमाही में, भारत ने सेवा व्यापार में 7% तिमाही आयात वृद्धि और 10% वार्षिक आयात वृद्धि दर्ज की। सेवा निर्यात में भी 3% तिमाही और 10% वार्षिक वृद्धि देखी गई। यह वृद्धि आईटी, सॉफ्टवेयर सेवाओं, और डिजिटल बुनियादी ढांचे में भारत की मजबूत स्थिति को दर्शाती है।[

व्यापार विस्तार की चुनौतियाँ

व्यापार घाटा

99.2 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह घाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर कंपोनेंट्स, और मशीनरी जैसे उच्च-मूल्य वाले आयातों के कारण है। यह भारत की चालू खाता घाटे (CAD) और रुपये पर दबाव को बढ़ाता है।

साइबर और डेटा सुरक्षा
चीन से टेलीकॉम उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक्स के आयात ने साइबर और डेटा सुरक्षा संबंधी चिंताएँ बढ़ाई हैं। भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने के लिए इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की आवश्यकता है

भूराजनीतिक तनाव
सीमा पर तनाव, विशेष रूप से LAC पर विवाद, भारत-चीन व्यापार के लिए जोखिम पैदा करते हैं। हालांकि 2024 में देपसांग और डेमचोक में गश्त फिर से शुरू करने पर सहमति बनी, फिर भी स्थायी समाधान बाकी है

भारत-चीन व्यापार विस्तार

भारत-चीन व्यापार के लिए भविष्य की संभावनाएँ

आत्मनिर्भर भारत और PLI योजना

भारत की PLI योजना का विस्तार इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में आयात निर्भरता को कम कर सकता है। इससे व्यापार घाटा कम करने और भारत के निर्यात को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

क्षेत्रीय सहयोग
BRICS और SCO जैसे मंच भारत और चीन को संयुक्त रूप से क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर काम करने का अवसर प्रदान करते हैं। न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) जैसे मंचों के माध्यम से संयुक्त परियोजनाएँ शुरू की जा सकती हैं।

सांस्कृतिक और जन-जन संपर्क
2025 में कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और 85,000 से अधिक भारतीय नागरिकों को चीनी वीजा जारी होने से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध मजबूत हुए हैं। यह व्यापारिक सहयोग को और बढ़ावा दे सकता है।

निष्कर्ष

2025 में भारत-चीन व्यापार विस्तार ने दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग के नए द्वार खोले हैं। कूटनीतिक प्रयासों, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों, और भारत की आत्मनिर्भरता पहल ने इस वृद्धि को संभव बनाया है। हालांकि, व्यापार घाटा, साइबर सुरक्षा, और भूराजनीतिक तनाव जैसी चुनौतियाँ अभी भी बाकी हैं।

आने वाले वर्षों में, यदि भारत और चीन पारस्परिक सम्मान और सहयोग के आधार पर अपनी साझेदारी को और मजबूत करते हैं, तो यह न केवल दोनों देशों, बल्कि पूरे क्षेत्र और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी होगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top